पूजा के दौरान घी की बत्ती को आरती के लिए उपयोग किया जाता है। इसे दीपाराधना कहा जाता है और इसके द्वारा देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। घी की बत्ती जलाने से आसपास की वातावरण में पवित्रता और शुभता का आनंद मिलता है।
कई पूजाओं में, खासकर हनुमान जी की पूजा में, चमेली के तेल का उपयोग करके दीपक जलाना शुभ माना जाता है.
माना जाता है कि हनुमान जी को चमेली की सुगंध बहुत पसंद है और उन्हें चमेली के तेल का दीपक चढ़ाने से उनकी कृपा प्राप्त होती है.
आप चाहें तो सिर्फ चमेली के तेल का दीपक जला सकते हैं या फिर इसे घी के साथ मिलाकर भी जला सकते हैं.
जनेऊ का सीधे तौर पर पूजा में इस्तेमाल नहीं होता है. जनेऊ धारण करने का संबंध उपनयन संस्कार से है. उपनयन संस्कार हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक है, जो द्विज (ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य) वर्णों के लड़कों को दिया जाता है. इस संस्कार के बाद ही जनेऊ धारण करने का विधान है. जनेऊ धारण करने वाले को ब्रह्मचर्य का पालन करना और वेद अध्ययन आदि करने का अधिकार प्राप्त होता है.
पूजा में दीपक जलाना शुभ माना जाता है, और तिल का तेल पारंपरिक रूप से ज्योति जलाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कई तेलों में से एक है.
कुछ मान्यताओं के अनुसार, घी के दीए से सकारात्मकता और ज्ञान का भाव आता है, वहीं तिल के तेल का दीपक जलाने से negativity दूर होती है और शांति मिलती है.
माना जाता है कि अंधकार का नाश करके दिया प्रकाश फैलाता है. पूजा में दिया जलाने का एक अर्थ अज्ञानता के अंधकार को दूर भगाना और ज्ञान के प्रकाश का स्वागत करना माना जाता है. ज्योति या प्रकाश को शुभ माना जाता है, इसलिए पूजा में दिया जलाना शुभ माना जाता है.
पंचमेवा का इस्तेमाल पारंपरिक रूप से पूजा में सीधे तौर पर नहीं, बल्कि प्रसाद के रूप में किया जाता है. पंचमेवा में ये पांच मेवे शामिल होते हैं:काजू
बादाम
किशमिश
छुआरा
खोपरा का टुकड़ा (खोपरागिट)