सुगंध और वातावरण शुद्धिकरण: जलाने पर अष्टगंध सुगंधित धुआं देता है, जो पूजा स्थल के वातावरण को सुखद और शुद्ध बनाता है. माना जाता है कि यह वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है सुगंध और वातावरण शुद्धिकरण: जलाने पर अष्टगंध सुगंधित धुआं देता है, जो पूजा स्थल के वातावरण को सुखद और शुद्ध बनाता है. माना जाता है कि यह वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है.
वास्तु शास्त्र के अनुसार, गोबर के कंडे जलाने पर इससे निकलने वाला धुंआ घर और आसपास के लिए बहुत शुद्ध होता है. गोबर के कंडे से निकलने वाले धुएं को घर के कोने-कोने में दिखाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. पूजा-पाठ या हवन आदि के दौरान गोबर के कंडे जलाने से घर पवित्र होता है और पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त होता है
माना जाता है कि कपूर जलाने से पूजा का वातावरण शुद्ध होता है और आसपास सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इसकी सुगंध से मन को शांति मिलती है और पूजा में एकाग्रता बढ़ती है
Gopichandan (गोपीचंदन) एक पवित्र पदार्थ है जिसका उपयोग हिंदू धर्म में पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। यह वृंदावन और द्वारका की पवित्र भूमि से प्राप्त मिट्टी से बना होता है।
जनेऊ का सीधे तौर पर पूजा में इस्तेमाल नहीं होता है. जनेऊ धारण करने का संबंध उपनयन संस्कार से है. उपनयन संस्कार हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक है, जो द्विज (ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य) वर्णों के लड़कों को दिया जाता है. इस संस्कार के बाद ही जनेऊ धारण करने का विधान है. जनेऊ धारण करने वाले को ब्रह्मचर्य का पालन करना और वेद अध्ययन आदि करने का अधिकार प्राप्त होता है.
माना जाता है कि अंधकार का नाश करके दिया प्रकाश फैलाता है. पूजा में दिया जलाने का एक अर्थ अज्ञानता के अंधकार को दूर भगाना और ज्ञान के प्रकाश का स्वागत करना माना जाता है. ज्योति या प्रकाश को शुभ माना जाता है, इसलिए पूजा में दिया जलाना शुभ माना जाता है.
पूजा में बुक्का (अभ्रक बुक्का) का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे अबीर के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में पूजा के दौरान शुभ माना जाता है। यहां इसके कुछ कारण बताए गए हैं
भगवान शिव का प्रतीक: भस्म को भगवान शिव का प्रसाद माना जाता है। शिवपुराण के अनुसार, दहन के बाद जो भस्म बचती है, उसे भगवान शिव अपने शरीर पर लगाते हैं। इस वजह से, भस्म को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है और उनकी पूजा में चढ़ाया जाता है।
लाल चंदन (Lal Chandan) का इस्तेमाल सफेद चंदन (Safed Chandan) के मुकाबले हिंदू पूजा-पाठ में कम किया जाता है, लेकिन फिर भी इसके कुछ खास महत्व हैं। आइए जानते हैं लाल चंदन का पूजा में कैसे उपयोग किया जाता है: विशेष पूजा (Specific Pujas): लाल चंदन का इस्तेमाल कुछ खास पूजाओं में किया जाता है, खासतौर पर देवी मां की पूजा में। उदाहरण के लिए, मां दुर्गा और मां काली की पूजा में लाल चंदन का तिलक लगाया जा सकता है।
देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए लोहबान जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और देवी-देवता प्रसन्न होते हैं।
नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के लिए लोहबान के धुएं से घर से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माएं दूर होती हैं।
हिंदू धर्म में पूजा-अर्चना में सफेद चंदन (White Sandalwood) का विशेष महत्व होता है। इसे सबसे शुभ चंदन माना जाता है और इसका उपयोग विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है।