हिंदू धर्म में पूजा के दौरान भस्म का उपयोग कई मायनों में किया जाता है, खासकर भगवान शिव की पूजा में. आइए देखें भस्म का पूजा में क्या महत्व है:
1. भगवान शिव का प्रतीक: भस्म को भगवान शिव का प्रसाद माना जाता है। शिवपुराण के अनुसार, दहन के बाद जो भस्म बचती है, उसे भगवान शिव अपने शरीर पर लगाते हैं। इस वजह से, भस्म को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है और उनकी पूजा में चढ़ाया जाता है।
2. वैराग्य का प्रतीक: भस्म भौतिक दुनिया से वैराग्य और त्याग का प्रतीक है। यह हमें यह याद दिलाता है कि इस संसार की हर चीज नश्वर है।
3. शुद्धीकरण: भस्म को पवित्र और शुद्ध करने वाला माना जाता है। माना जाता है कि यह आंतरिक और बाहरी दोनों तरह से शुद्धि लाता है। पूजा के दौरान भस्म लगाने से व्यक्ति खुद को शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से शुद्ध महसूस करता है।
4. तपस्या का प्रतीक: जंगम साधु और सanyasi अक्सर भस्म लगाते हैं। यह उनके कठोर तप और त्याग का प्रतीक माना जाता है।
5. राख का महत्व: भस्म को राख से भी जोड़ा जाता है, जो मृत शरीर के दाह संस्कार के बाद बचती है। यह जीवन और मृत्यु के चक्र का प्रतीक है और हमें इस बात का अहसास कराता है कि हर चीज का अंत होता है।
कैसे लगाएं भस्म:
भस्म को सीधे माथे पर या त्रिपुंड के रूप में लगाया जा सकता है। त्रिपुंड तीन क्षैतिज रेखाओं का एक समूह होता है, जो भगवान शिव के त्रिनेत्र (तीन आंखें) का प्रतीक है।
कुछ लोग राख को विभूति से मिलाकर भी लगाते हैं। विभूति गोबर से जली हुई भस्म होती है।
भस्म का उपयोग हर पूजा में जरूरी नहीं होता है, लेकिन खासकर शिवरात्रि और सोमवार के दिन शिव पूजा में इसका महत्व काफी बढ़ जाता है.



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