दीए का पूजा में बहुत महत्व होता है. आइए देखें इसके विभिन्न उपयोग और उनसे जुड़े अर्थ को समझते हैं:
प्रकाश और शुभता का प्रतीक:
माना जाता है कि अंधकार का नाश करके दिया प्रकाश फैलाता है. पूजा में दिया जलाने का एक अर्थ अज्ञानता के अंधकार को दूर भगाना और ज्ञान के प्रकाश का स्वागत करना माना जाता है. ज्योति या प्रकाश को शुभ माना जाता है, इसलिए पूजा में दिया जलाना शुभ माना जाता है.
जला हुआ दिया ईश्वर को एक अर्घ्य के रूप में चढ़ाया जाता है. दीपक में तेल या घी और रुई का इस्तेमाल ईश्वर के प्रति समर्पण का भाव दर्शाता है.
वातावरण शुद्धीकरण:
कुछ तेलों, जैसे सरसों के तेल, को शुद्धिकरण गुणों वाला माना जाता है. माना जाता है कि पूजा के दौरान दिया जलाने से वातावरण शुद्ध होता है.
मन की शांति:
दीपक की लौ को देखने पर मन को शांति मिलती है और एकाग्रता बढ़ती है. पूजा के दौरान ध्यान लगाने में यह सहायक होता है.
विभिन्न पूजाओं में दीए के प्रकार:
पूजा के प्रकार और परंपरा के अनुसार दीए के प्रकार और जलाने की विधि अलग-अलग हो सकती है. उदाहरण के लिए, शनि देव की पूजा में सरसों के तेल का दीया जलाया जा सकता है, जबकि विष्णु पूजा में घी का दीया जलाना शुभ माना जाता है.
निष्कर्ष:
पूजा में दिया जलाना एक सरल सी परंपरा है, लेकिन इसके पीछे गहरे अर्थ और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. यह ईश्वर के प्रति श्रद्धा, शुभता का आवाहन और आत्मिक शांति प्राप्त करने का एक माध्यम है.


