अष्टगंध का हिंदू पूजा में बहुत महत्व होता है। यह आठ सुगंधित पदार्थों का एक मिश्रण होता है, जिन्हें शुभ माना जाता है. आइए देखें अष्टगंध का पूजा में क्या उपयोग होता है:
सुगंध और वातावरण शुद्धिकरण: जलाने पर अष्टगंध सुगंधित धुआं देता है, जो पूजा स्थल के वातावरण को सुखद और शुद्ध बनाता है. माना जाता है कि यह वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है.
देवी-देवताओं को प्रसन्न करना: अष्टगंध की सुगंध देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए मानी जाती है. पूजा के दौरान अष्टगंध जलाकर आरती करना एक परंपरा है.
नकारात्मक ऊर्जा का नाश: कुछ लोगों का मानना है कि अष्टगंध के सुगंध में वैद्यक गुण होते हैं, जो वातावरण को शुद्ध करते हैं और नकारात्मक ऊर्जा को कम करते हैं.
ईश्वर के प्रति समर्पण: पूजा के दौरान अष्टगंध का उपयोग ईश्वर के प्रति समर्पण और भक्ति भाव दर्शाने का एक तरीका भी माना जाता है.
अष्टगंध के दो प्रकार: आमतौर पर अष्टगंध दो प्रकार का होता है – वैष्णव और शैव. इनमें इस्तेमाल होने वाले पदार्थ थोड़े भिन्न होते हैं.
वैष्णव अष्टगंध: चंदन, अगरु, ह्रीवेर, कुष्ट, कुंकुम, सेव्यका, जटामांसी और मुर.
शैव अष्टगंध: कुंकुम, अगर, कस्तूरी, चंद्रभाग, गोरोचन, तमाल और जल.
अष्टगंध का उपयोग पूजा की थाली में भी किया जाता है. आप इसे अपने पूजा स्थान पर जला सकते हैं या थाली में रख सकते हैं.



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